किताबों को लगा दिल से,
वो पहली बार जब आई |
मैं भुला नाम अपना भी,
चली कुछ ऐसी पुरवाई |
वो चलना यार झुक कर के,
हवा के वेग के जैसा |
मैं भुला नाम अपना भी,
वो जब भी सामने आई |
बहुत चंचल हुआ करता था,
मैं भी उन दिनों में पर |
नहीं कुछ बोल पाया मैं,
वो जब भी सामने आई |
मैं यादों के समंदर में,
लगा गोते हुआ विजयी |
मगर वो दिल कि बातों को,
कहाँ अब भी समझ पाई |
सुना है अब तलक मुझसा,
एक साथी ढूंढती है वो |
जो उसके साथ था हरदम,
उसे वो ढूंढ ना पाई |
उसे नफ़रत थी गजलों से,
मुझे कुछ लोग कहतें थे |
हर ग़ज़ल नाम थी उसके,
जिसे वो पढ़ नहीं पाई |
किताबों को लगा दिल से,
वो पहली बार जब आई |
मैं भुला नाम अपना भी,
चली कुछ ऐसी पुरवाई |
Best college of INDIA in terms of development and Corruption..(ताजमहल जल्द बनने वाला है |)
Saturday, April 17, 2010
Saturday, April 10, 2010
कॉलेज के नाम पर, लम्बा मैदान है,
हम भी होते नवाब, सजते अपने भी ख्वाब |
पर क्या करें जनाब, किस्मत अपनी ख़राब |
हम भी बुरे नहीं, सूरत भी है सही |
गम है इस बात का, कोई फंसती नहीं |
हांथों में जाम है, दिल में अरमान है |
जिस राहों में चले, अपनी पहचान हो |
रातों को हम जगे, कुछ भी न पढ़ सकें |
खोली जो बुक कभी, पढ़ते ही सो गए |
बैकों से है भरी, अपनी ये ज़िन्दगी ,
नेटवर्क दिखता नहीं, ada है सर फ़िरी |
गम पहले साल का, अबतक मेरे साथ है,
पर ये चिंता किसे, हम तो बिंदास है |
जो कुछ हमने पढ़ा, सब का सब लिख दिया,
नंबर आते नहीं, फिर मेरी क्या खता |
कॉलेज के नाम पर, लम्बा मैदान है,
खंडर में आ फंसी , हम सबकी जान है |
पर क्या करें जनाब, किस्मत अपनी ख़राब |
हम भी बुरे नहीं, सूरत भी है सही |
गम है इस बात का, कोई फंसती नहीं |
हांथों में जाम है, दिल में अरमान है |
जिस राहों में चले, अपनी पहचान हो |
रातों को हम जगे, कुछ भी न पढ़ सकें |
खोली जो बुक कभी, पढ़ते ही सो गए |
बैकों से है भरी, अपनी ये ज़िन्दगी ,
नेटवर्क दिखता नहीं, ada है सर फ़िरी |
गम पहले साल का, अबतक मेरे साथ है,
पर ये चिंता किसे, हम तो बिंदास है |
जो कुछ हमने पढ़ा, सब का सब लिख दिया,
नंबर आते नहीं, फिर मेरी क्या खता |
कॉलेज के नाम पर, लम्बा मैदान है,
खंडर में आ फंसी , हम सबकी जान है |
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